आधुनिक युग का अरित्ववादी दर्शन व्यक्ति के जीवन , उनकी अनुभूतियों , आशाओं और निराशाओं आदि के लिए दर्शन के इसी महत्व पर जोर देता है। यह ताकिर्क अथवा प्रकृतिवादी व्यवस्था, विश्लेषणवादी बुदिध्वाद और मृपप्रया विचार के विरोध में एक विरोद है , जो कि दर्शन में प्राणमय केन्द्र को खोकर उनको एेसे सिध्दान्तों की बेकार खोज बना देते है , जिनका हमारा व्यवहारिक जीवन से कोई सम्बन्ध नही है। अरतु आधुनिक युग में फलवाद (Pragmatism) सत्य के व्यवहारिक मूल्य पर जोर देते है। मानवतावाद (Humansim) मानववादी कसौटी के प्रटेगोरियन सिध्दान्त भ्वउम डमदेनतं को पुनजीर्वित करता है। जॉन डिबी का साधनवाद (Instrumentalism) जीवन में सफल कर्म के साधन मात्र के रूप में ज्ञान और बुध्दि की व्याख्या करता है।
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