बाल विकास एवं मनोविज्ञान

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बाल विकास एवं मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक एकीकृत शाखयी विधा है। यद्यपि 19वीं शताब्दी में भी बालकों के भली प्रकार से लालन-पालन और शिक्षण के लिए बाल विकास एवं मनोविज्ञान की आवश्यकता विश्व के प्रमुख विद्वानों ने अनुभव की थी, तथापि इसका अधिक विकास 20वीं शताब्दी में ही, बाल-शिक्षण के महत्व के साथ-साथ, हुआ है। बाल मनोविज्ञान की विधियाँ प्रायः वे ही हंै जो सामान्य मनोविज्ञान की हैं। बाल विकास एवं मनोविज्ञान में बाह्य निरक्षण को अधिक महत्व दिया जाता है।

डाॅ. श्याम मिश्रा का जन्म 1969 में हुआ, आपने बी.ए. एवं एम.ए. की उपाधियाँ अर्जित की। आप मनोविज्ञान में पीएच.डी. करने के बाद लेखन कार्य में संलग्न हो गये। आपने अनेक मनोविज्ञान की पुस्तकों का लेखन किया जो की बतौर पाठ्य-पुस्तक चलन में हैं। आपने अनेक सेमीनारांे में भाग लिया तथा आपके 16 से अधिक आलेख विभिन्न शोध-पत्रा, संपादित पुस्तकों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं तथा कुछ आलेखों को पुरस्कार से भी नवाजा गया है। आप वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय भागलपुर में कार्यरत है।