दर्शन के अंतर्गत सत्य, प्राकृतिक सिद्धांतों एवं दनके प्रमुख कारकों पर विशेष बल दिया जाता है। यथार्थता की परख हेतू दर्शन को दृष्टिकोण के रूप में भी परख सकते हैं जीवन की अर्थवत्ता परख दार्शनिक चिन्ता के आधार पर की जाती है धर्म के एवं दर्शन आधार पर दर्शन का अध्ययन करने पर वास्तविकता की अंतर्दृष्टि एवं शुभादर्शन आदि दो शब्दो की प्राप्ति हुई है। जिसका प्रयोग इसके अर्थ के रूप में कर सकते है। वास्तविक अंतर्दर्शन के रूप में दर्शन या दृष्टिकोण का अर्थ है, किसी विषय के विचार में मूल प्राकृति की विभिन्न विचारधाराएं। विशेषतः दर्शनशास्त्रा या धार्मिक सिद्धांत में इसका अभिप्राय विभिन्न प्रणालियों से होता हैं, जिसमें प्रत्येक का अपना दृष्टिकोण है और प्रत्येक के प्रमाणिक के ग्रंथों की अपनी व्याख्या है। भारतीय दर्शन और ‘फिलासफी’ एक नही क्योंकि दर्शन यथार्थत, जो एक है, का तत्वज्ञान है जबकी फिलासफी विभिन्न विषयों का विश्लेषण। इसलिए दर्शन में चेतना की मीमींसा अनिवार्य है जो पाश्चात्य फिलासफी में नही। मानव जीवन का चरम लक्ष्य दुखो से छुटकारा प्राप्त करके चिर आन्दद की प्राप्ति है।
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