भारतीय समाज एवं महिलाएँ

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भारतीय समाज और महिलाएँ , पुस्तक में समाज में महिलाओ की आधुनिकता को दर्शाते हुए समाज में उनके मानवाधिकार को दर्शाया गया है। वैदिक कल में स्त्री पुरुषो की स्थिति में समानता थी इस समय लड़कियों का उपनयन संस्कार होता था और यह भी ब्रहचर्य आश्रम में लड़को के सामान ही शिक्षा प्राप्त करती थी। इस कल में ऐसे उदहारण भी मिलते है जिनसे ज्ञात होता है की उस समय लड़के लड़कियों की शिक्षा साथ-साथ होती थी , सह -शिक्षा को बुरा नहीं माना जाता था।

डॉ. कंचन पारीक का जन्म 1978 में हुआ। आपने बी. एस. डब्लू , एम. एस. डब्लू एवं पी. एच. डी. , की उपाधियाँ अर्जित की। इसके बाद आप लेखन कार्य में संलंग्न हो गयी। आपके अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में सम्मानीय रहे है एवं उनका प्रकाशित भी हुआ है। डॉ. पारीक पिछले 8 वर्षो से पंजाब यूनिवर्सिटी में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। आपकी 12 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है। आपकी चिंतन शैली सामाजिक परिप्रेक्ष्य जुझारू प्रकृति की है। अध्यापन कार्य की व्यस्थता के बाद भी आपने समाजकार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।