वेदों में पर्यावरण

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हिन्दू धर्म में वेद व पुराणों का बहुत महत्त्व है। वेदो की रचना जिस युग में की गई उसे हम वैदिक युग के नाम से जानते है। इस दौरान धर्म का तो महत्त्व बढ़ा ही साथ ही साथ समाज के विविध पहलुओं का भी अध्ययन किया गया। इन्ही में पर्यावरण बी शामिल है। वैदिक युग में हमारा पर्यावरण कैसा था , इस बात की जानकारी वेद व पुराणों से मिलती है जिनके आधार पर हम यह कहते है कि वैदिक कालीन पर्यावरण आज के पर्यावरण से काफी अलग था। इस दौरान वातावरण प्रदुषण मुक्त था।

डॉ. रजनी माथुर का जन्म 1 9 7 4 में हुआ। आपने बी. ए. , एम. ए. एवं पी. एच. डी. , की उपाधियाँ अर्जित की। इसके बाद लेखन में अधिक रूचि के कारण लेखन कार्य में संलंग्न हो गयी। आपके अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में सम्मानीय रहे है एवं उनका प्रकाशित भी हुआ है। डॉ. माथुर पिछले 11 वर्षो से वाराणसी यूनिवर्सिटी में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। आपकी 8 पुस्तके प्रकाशित हो चुकी है। आपकी चिंतन शैली पर्यावरण एवं संस्कृतिक परिप्रेक्ष्य प्रकृति की है। अध्यापन कार्य की व्यस्थता के बाद भी आपने पर्यावरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।